कुछ गलतियाँ हमारी भी है कुछ गलतियाँ तुम्हारी भी है इस मोहब्बत के गुनाह में ना बेकसूर तुम हो ना गुन्हेगार हम है - *शुभम की कलम से*
कोशिश-2
चलो फिर से एक ऐसा मौसम बनाते हैं, लोगो के दिलो में खोए हुए उस प्यार को जागते हैं, भूल गए जो खुद को, उन्हें खुद से मिलाते हैं,
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