चलो फिर से एक ऐसा मौसम बनाते हैं,
लोगो के दिलो में खोए हुए उस प्यार को जागते हैं,
भूल गए जो खुद को, उन्हें खुद से मिलाते हैं,
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मेरे बाद अगर किसी को मुझ जैसा पाओ, तो मेरे बाद किसी के साथ मुझ जैसा मत करना। सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें, इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना। धूप के साये बिखर आये हैं घर के अन्दर, इक अँधेरे ने मेरे मन से शिकायत की है। कुछ पल, ज़रूरतों के साथ क्या गुज़ारे, मुँह फुला के, बैठ गयी हैं सब ख्वाहिशें। तुम्हें पा लेते तो किस्सा इसी जन्म में खत्म हो जाता, तुम्हे खोया है तो, यकीनन कहानी लम्बी चलेगी। लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं, मैं अरसे से ख़ामोश हूँ वो बरसों से बेख़बर है। रात के काले धब्बे ले कर चाँद मुझे यूँ लगता है, जैसे रुई के फाहे से तूने काजल अभी मिटाया हो। काश की कयामत के दिन हिसाब हो सब बेबफाओ का, और वो मुझसे लिपट कर कहे की मेरा नाम मत लेना। सर झुकाने की खूबसूरती भी क्या कमाल की होती हैं, जमीं पर सर रखों और दुआ आसमान में कुबूल हो जाती हैं। नज़ाकत आपकी है शिकायत हमारी है कि जब भी, मुस्करा कर देख लेते हो कसम से दम निकल जाता है। किस दर्द को लिखते हो इतना डूबकर, एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर। सोने जा रहा हूँ तुझे ...
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की, मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी। वो कितना खुश है मुझे भूलकर, काश उसके जैसा दिल मेरे पास भी होता। मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना, जिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी। रिश्तों पर रुपयों की किश्ते जोड़ देते है, खाली हो जेब तो लोग हर रिश्तें तोड़ देते है। ऐ दिल तू समझा कर बात को, जिसे तू खोना नही चाहता वो तेरा होना नही चाहता। तुम लौटकर आ जाना जब भी तुम्हारा दिल करे, सौ बार भी लौटोगे तो हमें अपना ही पाओगे। अजनबी तो हम जमाने के लिए हैं, आपसे तो हम शायरियों में मुलाकात कर लेते हैं। ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के साथ, बचपन की ज़िद समझौतों में बदल जाती है। एक खूबसूरत कहानी रात के आगोश में पनाह लेगी, चाँद निकाह कराएगा और चाँदनी गवाही देगी। बहुत ख़ास थे कभी हम किसी की नज़रों में, मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर ही कितनी लगती है। इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिये, तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है। संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो, शाबाशी और खंजर दोनो वहीं पर मिलते है। परवाह करने की आदत ने तो परेशां ...
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