मुझे पता ह मेरे जीने के तरीका आपको पसंद नही पर में क्या करूं में अपनी इस आदत से मजबूर हूँ और आदत ह के अब बदलती नही - *शुभम की कलम से*
कोशिश-2
चलो फिर से एक ऐसा मौसम बनाते हैं, लोगो के दिलो में खोए हुए उस प्यार को जागते हैं, भूल गए जो खुद को, उन्हें खुद से मिलाते हैं,
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