*बिकती है ना ख़ुशी कहीं*,
*ना कहीं गम बिकता है..*.
*लोग गलतफहमी में हैं*,
*कि शायद कहीं मरहम बिकता है..*.
*इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ*
*एक जिद्दी परिंदा है,*
*उम्मीदों से ही घायल है और*
*उम्मीदों पर ही जिंदा है...!*
*बिकती है ना ख़ुशी कहीं*,
*ना कहीं गम बिकता है..*.
*लोग गलतफहमी में हैं*,
*कि शायद कहीं मरहम बिकता है..*.
*इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ*
*एक जिद्दी परिंदा है,*
*उम्मीदों से ही घायल है और*
*उम्मीदों पर ही जिंदा है...!*
Comments
Post a Comment