"दिखावे की दोस्ती ?" मुझे विश्वास अटूट हैं तुझ पर, तेरा क्या यकीन करू? तूने तो हर उस सख्स के सामने पराय किया है, तुझे कैसे कबूल करू?? कभी सोचकर तो देखा होता अपने यार की नजरों से, तुझ...
जरूरी तो नही जिस को आप अपना मानते हो, वो भी आप को माने? रिश्ता कोई भी हो, जबरदस्ती से नही निभाया जा सकता, सही तो ये है,समय रहते रास्ता बदल दे।😇
एक ख्वाइश ही तो थी, जो आगे बढ़ने में मेरी मदत करती थी, तुम्हारे चले जाने से, अब ओर कोई ख्वाइश नही बची,ज़िन्दगी में अब कुछ नहीं है सिवाय यादों के, नरेंद्र त्यागी
एक बात बोलू? ... जो हमारे खास होते हैं ना वो ही हमे सिखाते हैं कि- वो हमारे कितने खाश हैं.😏 "रिश्ता कोई भी हो, निभाना दोनों तरफ से पड़ता है." ~नरेंद्र त्यागी~
जिन को हम अच्छे समझ बैठे है, वो हमें बच्चे समझ बैठे है, होती नही हम से मतलब की यारी यारो, हम तो दिल हाथ लिए बैठे हैं, फेक देते है हर एक झोली में, हम तो दिल दरिया लिए बैठे हैं...