जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का,
वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।

ऐ जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से,
हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे।

मंज़र धुंधला हो सकता है, मंज़िल नहीं,
दौर बुरा हो सकता है, ज़िंदगी नहीं..!!

बडा जालिम है साहब, दिलबर मेरा,
उसे याद रहता है, मुझे याद न करना!

मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु।

जिसे निभा न सकूँ, ऐसा वादा नही करता,
मैं बातें अपनी औकात से, ज्यादा नहीं करता।

पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पर है कितना बोझ, कोई देखता नहीं।

मोहब्बत की मिसाल मॆ बस इतना ही कहूँगा,
बेमिसाल सजा है.. किसी बेगुनाह के लिये।

न जरूरत​, न आदत, न जिद​, न मोहब्बत​, न जुनून,
बस ​एक.. पुरानी जानलेवा लत हो तुम..!!

चलने की कोशिश तो करोदिशायें बहुत हैं।
रास्तो पे बिखरे काँटों से न डरो, तुम्हारे साथ दुआएँ बहुत हैँ।




रंग तेरी यादों का उतर न पाया अब तक,
लाख बार खुद को आँसुओं से धोया हमने।

मिला वो लुत्फ हमको डूब कर तेरे ख्यालों में
कहाँ अब फर्क बाकी है अंधेरे और उजालों में।

बंद लिफाफे में रखी चिट्ठी सी है ये जिंदगी..
पता नहीं अगले ही पल कौन सा पैगाम ले आये।

लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता।

तुझे खोने के डर से शायद हम मर जायँगे,
तुम याद करोगे फिर मुझे लेकिन हम वापस नही आएंगे।

मैं बोझ बन जाऊ़गा एक दिन अपने ही दोस्तों पर,
कांधे वदल रहे होंगे वो.. हर दो क़दम के बाद..!!

मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां,
गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै।

हमारी दुनिया दौलत और मौत का वह चक्रव्यूह है,
जिस में एक बार दाखिल हो जाओ, तोह कोई वापसी नहीं।

मौसम की पहली बारिश का शौक तुम्हें होगा,
हम तो रोज किसी की यादो मे भीगें रहते है।

मैं निकला सुख की तलाश में रस्ते में खड़े दुखो ने कहा,
हमें साथ लिए बिना सुखों का पता नहीं मिलता जनाब।



सोच रहा हूँ कुछ ऐसा लिखू की वो..
पढ़ के रोये भी ना और रातभर सोये भी ना।

रुला के जो माना ले वो सच्चा यार है,
ओर जो रुला के खुद आँसू भाए वो सच्चा प्यार है।

अगर तेरी नज़र क़त्ल करने में माहिर है तो सुन,
हम भी.. मर मर के जीने में उस्ताद हो गये है।

लबो पर लफ्ज़ भी अब तेरी तलब लेकर आते हैं,
तेरे जिक्र से महकते हैं तेरे सजदे में बिखर जाते हैं।

एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये,
पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही।

काश अपनी भी ऐसी ही एक रात आती,
मैं देखता उसका ख्वाब और वह सच में आ जाती।

बंध जाये अगर किसी से रूह का बंधन,
तो इजहार-ए-इश्क़ को अल्फ़ाज़ की जरूरत नहीं होती।

दोस्तो से रिश्ता रखा करो जनाब तबियत मस्त रहेगी,
ये वो हक़ीम हैं जो अल्फ़ाज़ से इलाज कर दिया करते हैं।

ज्यादा ख्वाहिशें नही है तूझसे ऐ जिंदगी,
बस एक एहसान कर दे कि हर अगला कदम पिछले से बेहतर हो।

दिल लगाना छोड़ दिया हमने आंसू बहाना छोड़ दिया हमने,
बहुत खा चुके धोखा प्यार में मुस्कुराना इसलिए छोड़ दिया हमने।

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