किसी ने क्या खूब लिखा है:
कल न हम होंगे न गिला होगा,
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा,
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें,
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
सूरज, चाँद और सितारे मेरे साथ में रहे,
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे,
शाखों से जो टूट जाये वो पत्ता नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत,
तो भूलके तुमको संभलना हमें भी आता है,
मेरी फ़ितरत में ये आदत नहीं है वरना,
तेरी तरह बदल जाना हमें भी आता है।
Comments
Post a Comment