ज़िन्दगी की प्रेस कॉन्फ्रेंस

कभी कभी ज़िन्दगी की ज़द्धो ज़हेत, हम बता नहीं सकते,ओर ना समझा सकते, तो बस ये ही कहना उचित है।

*मुझे भी करनी बहुत सी शिकायते ए ज़िन्दगी तुझ से*
     *अब तू यूँ ही सुन लेगी या प्रेस कांफ्रेंस करूँ...*

नरेन्द्र त्यागी

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