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Showing posts from June, 2020

मैं कवि नहीं हूँ

कभी-कभी लिख लेता हूँ... कवि तो नही हूँ?? कोशिश कर लेता हूँ। नरेंद्र.

वक़्त

हर आदमी अपनी अकड़ में हैं, ज़बरदस्ती की जकड़ में हैं, दूसरा मौका नही मिलेगा, वक़्त एक आग हैं, राख कर देगा,  नरेंद्र।

आईना

*हर वक़्त नया चेहरा… हर वक़्त नया वजूद,आदमी ने आईने को, को भी भ्रम में दिया है।*

बढ़ना

दुसरो की परवाह न कर, आगे बढ़। राह कम पड़ जाएंगी, आगे तो बढ़। रास्ता खुद रुक जाएगा, आगे तो बढ़। मिलेंगी मंजिल तुझे, खुद पर भरोसा तो रख  आगे बढ़......।

शब्दों की ताकत

कुछ शब्द ऐसे होते हैं, हर एक के लिए उचित नहीं होते,कुछ शब्द खाश होते हैं, खाश अपनो के लिए।

जैसे हो वैसे रहो

जैसे हो वैसे ही रहो, हर एक के लिए अच्छा  बनने की कोशिस में जो हैं उस से भी हाथ धो बैठोगे🙏🏻